भगवान शनि को अशुभ का प्रतिक माना जाता है | कहते है की यदि शनि का प्रवेश किसी मनुष्य की राशि या नक्षत्रों में हो जाये तो उसे लगभग साढ़े सात वर्ष तक भटकना पड़ता है जिसे साढ़े साती कहते है | शनिदेव को सूर्य का पुत्र और कर्मो का फल देने वाला बताया गया है |
कुछ किवंदतियों के अनुसार यदि भगवान शनि की विधि विधान से पूजा करि जाए तो शनि उन्हें परेशान नहीं करते है | लेकिन क्या ऐसा भी है जब भगवान शनि की पूजा भी न की जाए और शनि देव का मनुष्य की राशि और नक्षत्रो में प्रवेश भी न हो | यदि कोई मनुष्य परम भक्त हनुमान की पूजा करे तो शनिदेव उसके आसपास भी नहीं आते है | इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति भगवान राम की पूजा भी करे या भगवान राम के किसी अन्य रूप की पूजा भी करे तो भी शनि देव उनके मार्ग में नहीं आते है |
शनिदेव महावीर हनुमान की पूजा करने वाले व्यक्तियों की राशि में प्रवेश नहीं करते है क्योंकि इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है | किवंदितियों के अनुसार एक बार एक पर्वत पर हनुमान जी भगवान राम की पूजा कर रहे थे | इतने में ही वहां शनिदेव का आगमन हुआ | शनिदेव ने कहा:- की हे हनुमान में तुम्हारे नक्षत्रो में प्रवेश करने जा रहा हूँ और अब तुम चारो और विचरण करने लगोगे और यदि तुम्हे उचित मार्गदर्शन नहीं मिला तो तुम्हारा सर्वनाश हो जायेगा |
हनुमान जी ने कहा: - आप मेरे नक्षत्रों में प्रवेश कर क्या करेंगे मैं तो श्री राम का अनन्य भक्त हूँ और उनके भजन के अतिरिक्त में कुछ करता ही नहीं और मैंने तो किसी को परेशान भी नहीं किया है | वाद-विवाद गहरा होता गया और अंत में शनिदेव और हनुमान जी के मध्य युद्ध हुआ जिसमे हनुमान जी जीत गए |
हनुमान जी ने उन्हें बंदी बना लिया और जब शनिदेव ने काफी देर तक प्रार्थना की तो हनुमान जी ने कहा आप मुझे इसके बदले में क्या देंगे तो शनिदेव ने कहा की जो तुम्हारी पूजा करेगा में उसकी राशि में प्रवेश नहीं करूँगा और उस पर मेरा कोई प्रकोप नहीं होगा | इस पर हनुमान जी ने कहा की आप उन लोगो की भी राशि या नक्षत्रों में प्रवेश नहीं करेंगे जो प्रभु श्री राम की भक्ति करते है | इसके बाद इसी वचन पर शनिदेव को स्वयं के पाश से मुक्ति दे दी | इसलिए जो लोग भगवान राम और भक्त हनुमान जी की पूजा अर्चना निरंतर करते उन्हें शनिदेव जैसी शक्ति भी कुछ नहीं करती है |
एक शोध के अनुसार जो लोग कर्म को सच्चे मन से करते है उन पर शनि का प्रकोप नहीं होता है | क्योंकि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है वैसा ही असर उसके नक्षत्रों पर होता है | जब नक्षत्रों में शनि का प्रवेश होता तो उसे भरी नुकसान का सामना करना पड़ता है |